सौन्दर्य और स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक

सौन्दर्य और स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक
सौन्दर्य और स्वस्थ्य दोनो एक ही सिक्के के दो पहलू हैं लेकिन इसके बावजूद भी हम में से ज़्यादातर महिलाऐं सिक्के के एक ही पहलू यानि सिर्फ खूबसूरती पर ही ध्यान देती हैं । और स्वस्थ्य को जाने – अनजाने दरकिनार करती चली जाती हैं । बहुत सी महिलाओं की नज़र में खूबसूरती के मायने हैं आकर्षक मेकअप, खूबसूरत कपड़े, और मैचिंग जूलरी । लेकिन क्या सचमुच खूबसूरती के यही मायने हैं ? हम ये तो नहीं कहते कि आकर्षक कपड़े, ज़ेवर, और मेकअप खूबसूरती का हिस्सा नहीं हैं लेकिन यह आपके व्यक्तित्व को भी आकर्षक बनायेंगे यह ज़रूरी नहीं। सच तो यह है कि इन सब चीजों से एक महिला को सजाया संवारा तो जा सकता है लेकिन उसे सौन्दर्य नहीं मिल सकता । क्यों कि स्थाई सौन्दर्य का राज़ छिपा है अच्छे स्वास्थ्य में । जब तन स्वस्थ होगा तभी मन खुश होगा और जब मन प्रसन्न होगा तो तन भी सुन्दर लगेगा । इसलिऐ यदि आप सौन्दर्य की प्रतिमूर्ती बनना चाहती हैं तो अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिये । महिलाओं से जुड़ी ऐसी बहुत सी स्वास्थ्य सबंधी समस्याऐं होती हैं जो उनके सौन्दर्य पर सीधा असर डालती हैं । मसलन – समय पर महावारी न होना या फिर बहुत कम या बहुत अधिक रक्त स्त्राव होना, तनाव, डायबटीज़ (मधुमेह), हाई ब्लडप्रैशर, या थायराॅयड आदि जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त होना । यह कुछ ऐसी बीमारियाँ हैं जो बढ़ती उम्र के साथ ज़्यादातर महिलाओं को अपना शिकार बना लेती हैं । इसलिऐ ज़रूरी है कि पहले इन परेशानियों से निबटा जाये और जब बीमारियों पर नियंत्रण होगा तो तन में फुर्ती और मन में खुशी होगी जो हमें स्वतः ही सौंदर्यबोध का एहसास करा देगी । इसलिऐ यदि आप भी खूबसूरत दिखना चाहती हैं तो ध्यान रखिये कुछ खास बातों का –
यदि आपकी माहवारी अनियमित है या महावारी के दौरान आपको बहुत अधिक या कम रक्त स्त्राव हो रहा है तो इसे कतई नज़र अन्दाज़ न करें । महावारी से जुड़ी समस्याओं को अधिकतर महिलायें टाल जाती हैं । वह इस बात को भूल जाती हैं कि महावारी की अनियमितता या इस दौरान कम या ज़्यादा रक्त स्त्राव होना किसी बीमारी का संकेत भी हो सकता है । पीरीयडस की अनियमितता और नारी सौन्दर्य पर जब हमने स्त्री रोग विशेषज्ञ शमां बत्रा से बात की तो उन्होने बताया कि ‘‘मासिक धर्म के दौरान रक्त स्त्राव होना और इसका हर महिने आना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसका सीधा सबंध हमारे मस्तिष्क से है । प्रत्येक स्त्री फिर चाहे वह अविवाहित हो या विवाहित महिने के इन खास दिनों में उसके शरीर से इस्ट्रोजन और प्रोजोस्ट्रोन नाम के दो हार्मोनस निकलते हैं । मूल रूप से यह दोनो ही हार्मोन्स महिलाओं के मस्तिष्क से निकलते हैं और उसके बाद यह हमारी ओवरी से मासिक धर्म के रक्त स्त्राव के साथ बाहर निकल जाते हैं । किन्तु जिन महिलाओं का मासिक धर्म अनियमित होता है या इस दौरान उन्हें बहुत कम या ज़्यादा ब्लीडिंग होती है तो यह उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालता है । मसलन – शरीर में भारीपन, स्वभाव में चिड़चिड़ापन, डिप्रैशन में रहना, त्वचा पर रैशेस होना या बहुत अधिक सैन्सटिव हो जाना यह सभी लक्ष्ण हमारे स्वास्थ्य और सौन्दर्य दोनो पर ही असर डालते हैं ।’’ इसलिये महावारी से जुड़ी किसी भी समस्या को नज़रअन्दाज़ न करें और समय रहते अपनी डाॅक्टर से संपर्क करें ।
महावारी की अनियमितता के अलावा स्त्रियों में थायराॅयड की समस्या भी बहुतायत में देखने को मिलती है । सामान्य सी कही जाने वाली यह समस्या स्त्रियों को अनेक परेशानियों में डाल देती है । इस बीमारी से महिलायें सिर्फ स्वास्थ्य ही नहीं खोती हैं बल्कि अपना रूप लावण्य और आकर्षण भी खो देती हैं । इस विषय में जब हमने थायराॅयड विशेषज्ञ डाॅ. कल्पना जैन से बात की तो उन्होंने बताया कि ‘‘हाइपोथयराॅयड हो या फिर हाइपरथायराॅयड हो दोनो ही परिस्थितियों में महिलायें मानसिक व शारीरिक रूप से कमज़ोर हो जाती हैं । क्यों कि हाइपोथयराॅयड में जहाँ एक ओर महिला का वज़न तेज़ी से बढ़ने लगता, बाल झड़ने लगते हैं, भूख बढ़ जाती, काॅन्सनट्रेशन की कमी होने लगती है, त्वचा का रूखा होना आदि परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो वहीं हाइपरथायराॅयड में वज़न का तेज़ी से कम होना, गले में सूजन आना, घबराहट होना, हाथों में कंपकंपी होना आदि जैसे लक्ष्णों से न सिर्फ महिलाओं का आत्मविश्वास कम होने लगता है बल्कि स्त्रियां अपनी कांति भी खोने लगती हैं । इसलिऐ यदि किसी भी महिला को इस तरह के लक्ष्ण अपने अन्दर दिखाई दें तो शीघ्र अपने डाॅक्टर से संपर्क करें जिससे समय रहते अपके स्वास्थ्य और सौन्दर्य को बचाया जा सके ।’’ यह बहुत ज़रूरी है कि बढ़ती उम्र के साथ आप नियमित रूप से अपना मेडिकल परिक्षण अवश्य कराती रहें । क्यों कि कई बार बेहद मामूली समझी जाने वाली बीमारी भी जी का जंजाल बन जाती है और हाईब्लडप्रैशर एक ऐसी ही बीमारी है । यह जिसे एक बार हो गई तो उम्र भर साथ नहीं छोड़ती । बदलते मौसम और बढ़ती उम्र में बेवजहों की चिंता और तनाव लेने से उच्च रक्तचाप की बीमारी हमारे स्वभाव को बेहद चिड़चिड़ा बना देती है जिससे हम छोटी छोटी बातों पर भी झगड़ा कर बैठते हैं या फिर बहस में पड़ कर अपनी सेहत तो खोते ही हैं साथ ही हम हमेशा के लिऐ अपने चेहरे पर झुर्रियों को दवात दे बैठते हैं । इसलिऐ बेहतर तो यही होगा कि हम अपनी बीमारी और हालात से गुत्थम गुत्था करने की जगह यदि खुद को खुश रखने और स्वस्थ रखने की ओर ध्यान देंगे तो हम खुद भी खुश रहेंगे और दूसरों को भी खुशी दे पायेंगे । साथ खुशी और मुस्कुराहट की चमक हमारे चेहरे को कांति देने के साथ – साथ हमारे सौन्दर्य में चार चाॅंद भी लगायेगी ।
जीवन के प्रति एक सकारात्मक सोच के साथ – साथ यदि हम अपनी सेहत के अनुसार परहेज़ करते हुऐ अपनी दिनचर्या में संतुलित भोजन व व्यायाम को जगह दें और कुछ समय सिर्फ अपने लिऐ निकालें तो हाईब्लडप्रैशर ही नहीं बल्कि हम किसी भी समस्या और किसी भी परेशानी से उबर कर खुद को स्वस्थ और सांवला सलोना बनाये रख सकते हैं । बस ज़रूरत है अपने सौन्दर्य के साथ साथ अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने की ।

आलेख – मोनिका जैन

By Jitendra Ravia

Jitendra RaviaIndian Journalist/Reporter, Editor of Daily News Paper, Writer/author of Magazine jeevanshailee, with responsibility of the Electronic media channel, GTPL.

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